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Tuesday, December 30, 2008
दिल, चेहरा और मैं...
रख
लिया
था
दिल
अपना
छुपाकर
कहीं
तुमने
,
और
मैंने
लगा
लिया
था
अपना
अपने
चेहरे
पर
,
नासमझ
था
मैं
भी
,
भला
रखता
है
कोई
अपना
दिल
अपने
चेहरे
पर
.......?
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अक्स, वक्त का...
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कहानी
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दिल, चेहरा और मैं...
About Me
brajeshgupt
जिस तरह टूट के गिरती है एक बूँद आसमान से और ज़िन्दगी बन जाती है, उसी तरह वक़्त के बदन से टूटे हुए एक अक्स हैं हम सब, एक ख्याल हैं हम जिसे अलग अलग नाम दे दिया है...!
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