Monday, June 20, 2011

उड़ान ...

कुछ हाल ही में बदले हैं
रंग इन फूलों के ,
हाल ही में बदली है
हवाओं ने अपनी रफ़्तार;
कुछ देर ही पहले खोला है
फलक ने अपना सीना,
कुछ देर ही हुआ है
कि टूटे हैं सरहद के दीवार;

बस पलों में ही जगी हैं
कुछ उम्मीदें नयी,
बस अभी ही जन्मी हैं
ताज़ा खुशबुवें कई;

चलो इस बाजुओं को पंख बना लें
चलो उन ख्वाबों को फिर से जगा लें
चलो ना चाँद से करके आयें बातें,
चलो ना, सोना! चलो ना हम भी
तोड़ें ये जंजीरें, और एक उड़ान भरें भरोसे की !

-अक्स

Sunday, June 12, 2011

नज़्म...

जब भी टपकी एक बूँद तुम्हारी आँखों से,
एक मिसरा बन गयी !
तुम्हारी आवाज़ के हर टुकड़े को जोड़ा मैंने ,
और सिला हर एक उधडे हुए कोने को!
ख्वाबों को सींच के,
एक इमेज तैयार किया,
और उधार लिए कुछ लब्ज़ माज़ी से !

एक ख्याल था जिसे पाल पोश के बड़ा किया
और नज़्म कह दिया
एक नाम की कमी थी जो तुमने पूरी की !

-अक्स