Monday, March 3, 2014

नक़ाब

जल गया है नक़ाब पुराना ज़िन्दगी की नयी धूप में,
अगली बार जले तो शायद चेहरा ही बदलना होगा...


-अक्स

Wednesday, January 22, 2014

साथी

सारे तर्क वितर्कों से परे 
औपचारिकताओं से ऊपर उठ कर 
मेरे ऊटपटांग बातों का अर्थ 

और उन अर्थों का सन्दर्भ 
कौन समझता ?
अगर न होते 
"कुछ 'दोस्त ', कुछ 'वफादार ' साथी जिन्होंने निभाया साथ छप्पर फाड़ के"