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Monday, March 3, 2014
नक़ाब
जल
गया
है
नक़ाब
पुराना
ज़िन्दगी
की
नयी
धूप
में,
अगली
बार
जले
तो
शायद
चेहरा
ही
बदलना
होगा...
-अक्स
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अक्स, वक्त का...
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About Me
brajeshgupt
जिस तरह टूट के गिरती है एक बूँद आसमान से और ज़िन्दगी बन जाती है, उसी तरह वक़्त के बदन से टूटे हुए एक अक्स हैं हम सब, एक ख्याल हैं हम जिसे अलग अलग नाम दे दिया है...!
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