Sunday, February 8, 2009

मौसम का ख़त .......





आज फिर नही आया ख़त तुम्हारा
जो पिछले मौसम से उधार है तुम पर

मौसम के हर एक सूरज का
एक ख़त भेजा था तुमको
और लिखा था
उस 'इमली के पौधे' के बारे में
जो आँगन में लगा गए थे तुम

सूख सा गया है आजकल कुछ
वो भी तुम्हारे ज़वाब की ताक में है, शायद

बरसात का पानी आज भी
बिस्तर तक जाता है
खिड़कियों को चीर कर
और नम हो जाता है तुम्हारा हिस्सा

कभी नमी महसूस हो तुम्हे भी तो
भेजना एक ख़त मेरे नाम

कुछ ना भी लिखो अगर तुम ख़त में
महज़ एक कोरा कागज़ भी काफी होगा.......

... अक्स

3 comments:

  1. fantastic poetry brijesh...keep it up...i am regular reader to your blog....kya baat hai....mazaa aa gaya padh kar

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  2. Superb poetry brajesh..
    it shows all had came 4m ur heart and u expressed...
    keep writing such movable poetry....

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  3. i never knew u write such wonderful poems..keep ur good work going..

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