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Saturday, February 13, 2010
अँधेरा और मैं.......
हर
बार
लड़
कर
हारा
हूँ
मैं
अँधेरे
से
यूँ
ही
नहीं
मैंने
एक
लौ
जला
रखी
है
...
-
अक्स
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अक्स, वक्त का...
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About Me
brajeshgupt
जिस तरह टूट के गिरती है एक बूँद आसमान से और ज़िन्दगी बन जाती है, उसी तरह वक़्त के बदन से टूटे हुए एक अक्स हैं हम सब, एक ख्याल हैं हम जिसे अलग अलग नाम दे दिया है...!
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