Wednesday, January 28, 2009

लकीर

देखा था कल एक लकीर को अपने हाथों में बनते हुए,
गुम हो गई है आज कहीं वो पुरानियों के बीच.......

3 comments:

  1. खूबसूरत, अद्भुत वाक्यरचना...ब्लॉगिंग में सक्रियता यूं ही बनाए रखें। कभी हमारे चौराहे--www.chauraha1.blogspot.com पर भी आएं.

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  2. मेरे ही हातों में लिखी है तक़दीर मेरी,

    और मेरी तक़दीर पर ही मेरा जोर नही चलता ।

    बहोत अच्छी लगी आपकी रचना । सुंदर रचना के साथ आपका हिन्दी ब्लॉग में स्वागत है । खूब लिखे अच्छा लिखे । हमारे ब्लॉग पर सदर आमंत्रित है ...

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  3. आज आपका ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा.... मेरी कामना है कि आपके शब्दों में नयी ऊर्जा, व्यापक अर्थ और असीम संप्रेषण की संभावनाएं फलीभूत हों जिससे वे जन-सरोकारों की अभिव्यक्ति का समर्थ माध्यम बन सकें....
    कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें.........
    http://www.hindi-nikash.blogspot.com


    सादर-
    आनंदकृष्ण, जबलपुर.

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